सदक़ा
वो नेक अमल जो देखा जाए हम पे फ़र्ज़ नहीं लेकिन फ़र्ज़ जितना एहम है पर अक्सर हम इसकी सही एहमियत को नज़र अंदाज़ कर देते हैं वो है "सदक़ा" । क़ुरआन और हदीथों में कई बार इसके बारे में हमें समझाया गया है... *"जो लोग अपना माल अल्लाह के रास्ते मे ख़र्च करते हैं, उनकी मिसाल ऐसी है जैसे एक भुटटे का दा…
रोज़े का टूटना...कब कैसे क्यों..??!!
रोज़े का टूटना...कब कैसे क्यों..??!! रोज़ा एक ऐसी इबादत है जो हम ख़ालिस अल्लाह तआला के लिए करते हैं, बाक़ी सारी इबादत इंसान ख़ुद अपने लिए करता है। पर रोज़ा टूटने की वजाओं को लेकर अक्सर लोगों को कुछ ग़लत फ़हमियां रहती हैं। आइये, इन ग़लत फ़हमियों को थोड़ा दूर करते हैं और सही वजाओं की याद दिहानी करते हैं जो सहि…
ग़ुस्सा... शैतान का हथ्यार!*
*ग़ुस्सा... शैतान का हथ्यार!* रोज़े में हम अपनी भूख प्यास पे आराम से क़ाबू कर लेते हैं, खूब इबादत भी करते हैं, लेकिन अक्सर हम एक बात पे क़ाबू नहीं कर पाते और वो है ग़ुस्सा!!  रमज़ान हों या न हो, रोज़ा हो या न हो ग़ुस्से को हमे कभी भी ख़ुद पर हावी नही करना चाहिए।  यही सीख हमें क़ुरआन और हदीथों से मिलती है। इ…
बर्थडे या एनीवर्सरी... क्यों नहीं!!
*बर्थडे या एनीवर्सरी... क्यों नहीं!!* आज कल दो तरह के मुस्लिम्स हैं, एक वो जो कट्टर कहलाते हैं क्योंकि वो बर्थडे एनीवर्सरी का कोई सेलिब्रेशन नहीं करते और दूसरे वो जो मौक़ा ढूंढते हैं सेलिब्रेशन का, खुश होने का।  तोह कौन सही है क्या सही है और क्यों..?!  🔹इस्लाम में किसी तरह का कोई बर्थडे एनीवर्सरी …
तरावी... कब और कितनी??
तरावी या क़याम अल लैल वो ख़ास नमाज़ है जो हम रमज़ान में ईशा नमाज़ के बाद पढ़ते हैं। अक्सर देखने में आता है के तरावी में पूरा क़ुरआन खत्म किया जाता है भले ही कितनी भी जल्दी कैसा ही पढ़ें। और कई लोग रमज़ान में शुरू के 10 दिन, 15 या 20 दिन में ही क़ुरआन के साथ तरावी भी खत्म कर देते हैं। क्या ऐसा करना सही है??…
रोज़े .........रमज़ान के अलावा
रोज़े....रमज़ान के अलावा!! रमज़ान के फ़र्ज़ रोज़े तोह हम सब रखते ही हैं, लेकिन कुछ और भी रोज़े हैं जो हमें रखने चाहिए क्योंकि वो सुन्नत हैं और उनका सवाब भी बोहुत है।  *अराफ़ात का रोज़ा* ➡️नबी सल्लल्लाहु अलैही ने फ़रमाया," जो शक़्स अराफ़ात का रोज़ा रखेगा उसके पिछले साल और आने वाले साल के सारे गुनाह माफ़ कर द…